BA Semester-5 Paper-2A Econimics - Environmental Economics - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2774
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पर्यावरण नीति बताइये।

उत्तर -

पर्यावरणीय नीति: मुद्दे तथा संभावित समाधान
(Environmental Ethics: Issues and Possible Solutions)

मानव का पर्यावरण से अविछिन्न सम्बन्ध है। अगर पर्यावरण के सन्तुलन में अधिक परिवर्तन आता है और निरन्तर दूषित होने के कारण उसका अधिक ह्रास होता है तो निश्चित ही अनेकानेक अन्य जीवधारियों के साथ-साथ मनुष्य का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। बड़े-बड़े शहरों में प्रदूषण इतना बढ़ता जा रहा है कि वहाँ श्वसन के लिए साफ हवा, पीने के लिए शुद्ध जल और खाने के लिए शुद्ध खाद्य-पदार्थों का मिलना दुश्वार हो गया है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकाशित दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित बीस शहरों की सूची में भारत के तीन मेट्रोपोलिटन शहर - दिल्ली, कोलकाता और बम्बई के नाम प्रथम दस में ही आ जाते हैं। आजकल दिल्ली देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर बन गया है।

मनुष्य ने बिना पारिस्थितिकी के सन्तुलन की चिन्ता किये अपनी जरूरतों को पूरा करने व विलासी जीवन के उपक्रम जुटाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का व्यापक दोहन किया है और उसे प्रदूषित किया है। इस विवेकहीन अभियान से उसने धरती, जल, वायु और आकाश किसी को नहीं बख्शा है। आज प्रदूषण पहाड़ों की चोटियों, समुद्रों की गहराइयों, धरती के कोनों कोनों तथा वायुमण्डल के ऊपर अन्तरिक्ष के विस्तार तक पहुँच गया है। इसका सीधा प्रभाव पारिस्थितिकी पर पड़ा है। प्रकृति में विभिन्न जीवदायिनी क्रियाओं प्रक्रियाओं के चक्र चलते रहते हैं, जिनका मूल प्रयोजन विभिन्न स्तरों पर जीवधारियों अर्थात वनस्पतियों और प्राणियों को, अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराना है। ऊर्जा का यह प्रवाह जीवों में खाद्य - श्रृंखला पर आधारित है, परन्तु इसके लिए उन्हें वातावरण में पदार्थों के निरन्तर आदान-प्रदान पर निर्भर होना पड़ता है। यह सब अजैव घटकों के बीच विभिन्न भौतिक कारकों के माध्यम से पूरा हो पाता है। अगर प्रकृति में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि के चक्र पूरे नहीं हों अथवा अपेक्षित स्तर के नहीं हों तो निश्चित ही जीव जगत का सन्तुलन डगमगा जायेगा। इसी तरह जैवमंडल के विभिन्न स्तरों की संरचना, परिमाण, विविधता तथा उनके बीच स्थापित सामंजस्य गड़बड़ हो जाएँ तो अजैव घटकों के बीच संचालित होने वाली प्रक्रियाओं तथा उनके चक्रों में भी विघ पड़ जायेगा और सभी पारिस्थितिकी में असन्तुलन के आसार नजर आने लगेंगे। अगर वृक्षों की अधिक कटाई होती है और नये वृक्षों द्वारा उनकी पूर्ति नहीं होती है तो सबसे पहले कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन के चक्र प्रभावित होंगे। उनका प्रभाव समस्त जैविक जगत पर पड़ेगा।

विकसित देशों में प्रदूषण से होने वाले खतरों के प्रति चिन्ता दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही होने लगी थी, किन्तु उसे रोकने के अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास आठवें दशक के आरम्भ में हुए। जून 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में मानव पर्यावरण पर प्रथम विश्व सम्मेलन हुआ। इसमें भारत ने सक्रिय रूप से भाग लिया था तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने देश का प्रतिनिधित्व किया। उसी समय से ही हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। समय-समय पर आवश्यक नियम बनाये गये हैं। इसी दौरान हमारी राष्ट्रीय पर्यावरण नीति का भी निर्माण हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य यही है कि विकास के कार्यक्रमों को इस तरह नियोजित किया जाये कि उनसे पर्यावरण की अपूरणीय क्षति नहीं हो तथा विकास ऐसा हो, जिसका क्रम चलता रहे अर्थात वह अनुरक्षणीय हो। हमारी राष्ट्रीय पर्यावरण नीति संयुक्त राष्ट्र संघ में परिलक्षित संपोषणीय विकास की विश्व नीति पर ही आधारित है। बढ़ती हुई जनसंख्या, विलास प्रवृत्ति तथा अनुशासनहीनता के अतिरिक्त पर्यावरण के समक्ष सबसे बड़ी समस्या विकास कार्यक्रमों के दौरान उत्पन्न दुष्प्रभावों के कारण आती है। ये दुष्प्रभाव कई प्रकार के होते हैं, जैसे- प्राकृतिक सम्पदा का बड़े पैमाने पर वन विनाश, अपशिष्ट उत्पादों व अवशिष्टों का गलत विसर्जन, अन्धाधुन्ध निर्माण, आवासीय गतिविधियों का फैलाव इत्यादि। इन दुष्प्रभावों से पर्यावरण को यथासम्भव बचाने की ओर सरकार का ध्यान चौथी पंचवर्षीय योजना के दौरान गया। इस समस्या की गहराई में जाने तथा पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के प्रभावी उपाय सुझाने हेतु सन् 1972 में 'पर्यावरण समन्वय' पर एक कमेटी बनाई गई। विभिन्न विभागों के विकास सम्बन्धी कार्य एवं अन्य गतिविधियों के केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच बँटी हुई जिम्मेदारियों और अधिकार प्राप्ति ने काफी कठिनाइयाँ उपस्थित की और आज भी कर रहे हैं। इन स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए केन्द्र में प्रधानमंत्री की देख-रेख में सन् 1980 में पर्यावरण विभाग की स्थापना की गई तथा 1985 में स्वतन्त्र मंत्रालय ही बना दिया गया। सन् 1972 से अब तक अनेक नियम बनाये जा चुके हैं तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएँ प्रयत्नशील हैं। सन् 1988 में नयी पर्यावरण नीति की घोषणा की गई, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं -

(i) पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाये रखना,
(ii) जैव विविधता का संरक्षण,
(iv) पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उत्पादकता में वृद्धि,
(iii) मृदा और जल प्रबन्धन,
(vii) लकड़ी के विकल्पों की खोज-
(v) ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र की जनसंख्या की आवश्यकता पूर्ति,
(vi) वनीय उत्पादों का समुचित प्रयोग,
(viii) उपरोक्त कार्यक्रमों में जन सामान्य की सहभागिता सुनिश्चित करना।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री बताइये।
  3. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना को समझाइये।
  4. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना बताइए।
  6. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र के प्रकार बताइए तथा पारिस्थितिक तन्त्र के महत्व का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- विकास में पारिस्थितिक तन्त्र का महत्व क्या है?
  8. प्रश्न- पेरेटो की सामान्य कल्याण की इष्टतम् दशाओं की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- कल्याणवादी अर्थशास्त्र में पैरेटो अनुकूलतम की शर्तें पूर्ण प्रतियोगिता में कैसे पूरी होती हैं? .आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की अवधारणाएँ समझाइए।
  11. प्रश्न- पेरेटो के कल्याण अर्थशास्त्र की अथवा इससे सम्बद्ध अनुकूलतम शर्तों की मान्यताएँ बताइए।
  12. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  13. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  14. प्रश्न- बाह्यताओं का आशय बताइये।
  15. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  16. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय नीतियों के संक्षिप्त अवलोकन का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत की पर्यावरणीय नीति के सिद्धान्त बताइये।
  18. प्रश्न- पर्यावरण नीति बताइये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरणीय नीति, 2006 क्या हैं?
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 के उद्देश्य बताइए।
  21. प्रश्न- पर्यावरण में वृहत आर्थिक नीति की भूमिका की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय जल नीति को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- भारत में वन नीति को समझाइए।
  24. प्रश्न- सतत विकास को प्राप्त करने में पर्यावरणीय नीति कहाँ तक सहायक रही है?
  25. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण हेतु नीतिगत उपकरण बताइये।
  26. प्रश्न- पीगूवियन कर क्या है?
  27. प्रश्न- सीमा पार पर्यावरणीय मुद्दों से आप क्या समझते हैं?
  28. प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? इसके मूल्यांकन की विधियों को बताइये। पर्यावरणीय मूल्यांकन की स्पष्ट अधिमान विधियों का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की अभिव्यक्त अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- आनन्द कीमत विधि क्या है? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए तथा इसकी आलोचनाएँ भी बताइए।
  35. प्रश्न- प्रतिबन्धात्मक व्यय विधि को समझाइये।
  36. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए - (a) प्रतिनिधि बाजार रीति तथा (b) सम्पत्ति मूल्य रीति।
  37. प्रश्न- मजदूरी-विभेदात्मक उपागम बताइये।
  38. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की लागत आधारित विधियाँ का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- पुनः स्थानीयकरण लागत रीति विशेषताएँ क्या है?
  40. प्रश्न- प्रतिस्थापन लागत विधि क्या है? इस विधि को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विकास मॉडल की सामाजिक सीमाएँ सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- हरित लेखांकन से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  44. प्रश्न- परिमाण प्रत्युत्तर विधि को बताइए।
  45. प्रश्न- मानव पूँजी अथवा पूर्वानुमानित विधि को समझाइए।
  46. प्रश्न- पर्यावरणीय अधिप्रभाव आंकलन के निर्देशक सिद्धान्त क्या हैं?
  47. प्रश्न- पर्यावरण नीति व विनियमों का लागत लाभ विश्लेषण का विश्लेषण कीजिए।
  48. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों की माप में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों के मापन से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- पर्यावरणीय क्षति से आप क्या समझते हैं?
  51. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  53. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  54. प्रश्न- सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- सतत् विकास के अवरोधक घटकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- सतत् विकास के संकेतकों या मापकों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- सतत् विकास के लिए भारत द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
  58. प्रश्न- सतत् विकास की रणनीति पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  59. प्रश्न- बाह्यताओं का पीगूवियन विश्लेषण समझाइये।
  60. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  61. प्रश्न- उत्पादन की सकारात्मक बाह्यताओं को पीगू के विश्लेषण के अनुसार समझाइए।
  62. प्रश्न- पीगू के विश्लेषण के अनुसार उत्पादन की नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  63. प्रश्न- उपभोग में सकारात्मक बाह्यताओं पर टिप्पणी लिखिए तथा इसमें नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  64. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। बाह्यताओं तथा बाजार विफलताओं को किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- सार्वजनिक खराबी किसे कहते हैं?
  66. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुएँ क्या विशेषताएँ रखती हैं?
  67. प्रश्न- बाह्यताओं एवं बाजार विफलताओं को दूर करने के उपाय बताइये।
  68. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए। कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  69. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  70. प्रश्न- पीगू के कल्याणवादी अर्थशास्त्र की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  72. प्रश्न- बाजार असफलता किन दशाओं में सम्भव है?
  73. प्रश्न- पीगूवियन सब्सिडी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- बाह्यताओं के समाधान हेतु सुझाव क्या हैं?
  75. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  76. प्रश्न- सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में प्रो. रोनाल्ड कोज की प्रमेयों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रो. आर. कोज द्वारा सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में बतायी गयी द्वितीय प्रमेय को समझाइये।
  78. प्रश्न- कोज द्वारा बताए गए प्रमेयों का महत्व समझाइए।
  79. प्रश्न- सम्पदा अधिकार के विभिन्न प्रकारों को बताइए।
  80. प्रश्न- मानव पूँजी के अवयव लिखिए।
  81. प्रश्न- पर्यावरण एक सार्वजनिक वस्तु है। समझाइए।
  82. प्रश्न- पर्यावरणीय गुणवत्ता का आशय एवं महत्व बताइये।
  83. प्रश्न- इको लेबलिंग (Eco Labelling) का क्या अर्थ है?
  84. प्रश्न- पर्यावरण दक्षता (Eco Efficiency) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसके लक्षण बताइए। इसके लक्ष्यों को भी लिखिए।
  86. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्षण बताइए।
  87. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्ष्य बताइये।
  88. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लाभ बताइये। सतत् सुधार चक्र को समझाइये।
  89. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यक्षेत्र तथा आवृत्ति को बताइए। पर्यावरणीय अंकेक्षण के क्या लाभ होते हैं?
  90. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण की आवश्यकता बताइये।
  91. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण का कार्यक्षेत्र समझाइए। यह किसे करना चाहिए?
  92. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण के लाभ बताइये।
  93. प्रश्न- पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में भारतीय संविधान के प्रावधान बताइये।
  94. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्धन क्या है?
  95. प्रश्न- प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध से आपका क्या तात्पर्य है?
  96. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण प्रोटोकॉल का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- प्रभावी पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के प्रमुख तत्व बताइये।
  99. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा का आशय एवं परिभाषा बताइये। पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट करते हुए इसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को समझाइये।
  101. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- मूल्य-आधारित पर्यावरणीय शिक्षा क्या है? इसका महत्व एवं आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मूल्य आधारित पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता समझाइये।
  104. प्रश्न- पर्यावरणीय शिक्षा को प्रभावी बनाने हेतु उपायों का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- पर्यावरणीय जागरूकता से आप क्या समझते हैं? पर्यावरणीय जागरूकता / शिक्षा के उपाय बताइये।
  106. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय शिक्षा पर लेख लिखिए।
  107. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के प्रसार के अवरोधों को दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- पर्यावरणीय विधान पर टिप्पणी लिखिए।
  110. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  111. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन एवं पर्यावरण पर लेख लिखिए।
  112. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के अन्तर्गत व्यापार तथा पर्यावरणीय मुद्दों को समझाइये।
  113. प्रश्न- "जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।' विश्लेषण कीजिए।
  114. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं स्वास्थ्य के मध्य सम्बन्ध का परीक्षण कीजिए।
  115. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन क्या है?
  116. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य बताइये।
  117. प्रश्न- व्यापार एवं पर्यावरण में सम्बन्ध लिखिए।
  118. प्रश्न- पर्यावरण पर मनुष्य का क्या प्रभाव पड़ा है?
  119. प्रश्न- लिंग समानता तथा पर्यावरण को बताइये।
  120. प्रश्न- ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
  121. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  122. प्रश्न- पारिस्थितिकी तन्त्र (Eco System) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- यूरो मानक से क्या समझते हो?
  124. प्रश्न- भारतीय उत्सर्जन मानक (BS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- प्रमुख वैश्विक पर्यावरण मुद्दों का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- वैश्विक ऊष्मीकरण या वैश्विक उष्मण।
  127. प्रश्न- मरुस्थलीयकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- ओजोन परत व उसके क्षरण पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- अम्लीय वर्षा से आप क्या समझते हैं?
  130. प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण में भारत की न्यायपालिका की सक्रियता या भूमिका का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- कार्बन ट्रेडिंग या कार्बन व्यापार से आप क्या समझते हैं?

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